गलातियों 4:26 में ‘यरूशलेम माता’ कौन है?

25280Views

यरूशलेम एक ऐसी जगह है जहां हर साल दुनिया भर के तीर्थयात्रियों के कदम जाने से नहीं रुकते। ईसाइयों के लिए, यह सुसमाचार के कार्य का स्थान है जहां यीशु के पदचिह्न हैं; यहूदियों के लिए, यह “प्रतिज्ञा की भूमि” है जहां मंदिर स्थित था; और मुसलमानों के लिए, इसे पवित्र स्थल माना जाता है। बाइबल में, यरूशलेम को परमेश्वर के नाम के लिए चुने गए पवित्र स्थान के रूप में दर्ज किया गया है(1रा 11:36)। लेकिन, नए नियम के गलातियों की पुस्तक में यरूशलेम के बारे में कुछ विशेष उल्लेख है।

पर ऊपर की यरूशलेम स्वतंत्र है, और वह हमारी माता है। गल 4:26

ऊपर(स्वर्ग में) की यरूशलेम को “हमारी माता” कहा गया है। प्रेरित पौलुस ने स्वर्गीय यरूशलेम को संतों की माता क्यों कहा? आइए हम बाइबल में गवाही दी गई यरूशलेम माता के बारे में जानें।

उद्धार का स्थान, यरूशलेम

बाइबल में, यरूशलेम को आत्मा के उद्धार से निकटता से जुड़े स्थान के रूप में बताया गया है। पुराने नियम के नबियों ने भविष्यवाणी की थी कि सभी जातियों के लोग यरूशलेम में आएंगे और सच्ची आत्मिक सांत्वना प्राप्त करेंगे, और यरूशलेम से बहता हुआ जीवन का जल पूरे संसार में फैल जाएगा।

“उठ, प्रकाशमान हो; क्योंकि तेरा प्रकाश आ गया है, और यहोवा का तेज तेरे ऊपर उदय हुआ है… जाति जाति तेरे पास प्रकाश के लिये और राजा तेरे आरोहण के प्रताप की ओर आएंगे। अपनी आंखें चारों ओर उठाकर देख; वे सब के सब इकट्ठे होकर तेरे पास आ रहे हैं; तेरे पुत्र दूर से आ रहे हैं, और तेरी पुत्रियां हाथों–हाथ पहुंचाई जा रही हैं।” यश 60:1-4

“हे यरूशलेम से सब प्रेम रखनेवालो… तुम को यरूशलेम ही में शान्ति मिलेगी।” यश 66:10-14

उस दिन यरूशलेम से बहता हुआ जल फूट निकलेगा उसकी एक शाखा पूरब के ताल और दूसरी पश्चिम के समुद्र की ओर बहेगी, और धूप के दिनों में और जाड़े के दिनों में भी बराबर बहती रहेंगी। जक 14:8

जैसा कि बाइबल में भविष्यवाणी की गई है, बहुत से लोग आत्मिक सांत्वना और जीवन के जल की आशीष पाने की आशा करते हुए, फिलिस्तीन में यरूशलेम की ओर जाते हैं। दुर्भाग्य से, वर्तमान यरूशलेम, जो राजनीति, धर्म और अन्य मुद्दों के निरंतर संघर्षों से चिह्नित है, बाइबल में वर्णित शांति और उद्धार की अपेक्षा से विपरीत है। तब, बाइबल में उद्धार का स्थान ‘यरूशलेम’ का क्या अर्थ है?

यरूशलेम की वास्तविकता माता परमेश्वर है

वास्तव में, यशायाह और जकर्याह की भविष्यवाणियों में, यरूशलेम सांसारिक यरूशलेम नहीं, बल्कि स्वर्गीय यरूशलेम को दर्शाता है। स्वर्गीय यरूशलेम परमेश्वर के स्वर्गीय नगर को दर्शाता है, लेकिन इसका एक और अर्थ भी है।

पर ऊपर की यरूशलेम स्वतंत्र है, और वह हमारी माता है… हे भाइयो, हम इसहाक के समान प्रतिज्ञा की सन्तान हैं। गल 4:26-28

प्रेरित पौलुस ने स्वर्गीय यरूशलेम को उन संतों की ‘माता’ कहा, जो उद्धार प्राप्त करेंगे। यरूशलेम आत्माओं की माता, अर्थात् माता परमेश्वर को दर्शाती है। पौलुस ने यरूशलेम माता पर विश्वास करने वालों को “प्रतिज्ञा की सन्तान” कहा। परमेश्वर की प्रतिज्ञा अनन्त जीवन है(1यूह 2:25)। उन संतों के लिए जो अनन्त जीवन की आशीष प्राप्त करेंगे, आत्माओं के पिता(मत 6:9) के साथ-साथ आत्माओं की माता भी हैं। आइए हम यरूशलेम की वास्तविकता, माता परमेश्वर के अस्तित्व के बारे में और अधिक समझें।

फिर परमेश्वर ने कहा, “हम मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार अपनी समानता में बनाएं…” तब परमेश्वर ने मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार उत्पन्न किया, अपने ही स्वरूप के अनुसार परमेश्वर ने उसको उत्पन्न किया; नर और नारी करके उसने मनुष्यों की सृष्टि की। उत 1:26-27

यह वह दृश्य है जब आदि में परमेश्वर ने आकाश और पृथ्वी की सृष्टि की और मनुष्य को बनाया। यहां परमेश्वर स्वयं को ‘मैं’ के बजाय ‘हम’ कहकर, बहुवचन रूप में व्यक्त करते हैं। परमेश्वर ने मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार उत्पन्न किया, तब नर और नारी की सृष्टि की गई। इसका अर्थ है कि परमेश्वर के स्वरूप में नर और नारी दोनों स्वरूप शामिल हैं। अब तक, जो लोग परमेश्वर पर विश्वास करते हैं, वे केवल नर स्वरूप के परमेश्वर को मानते हुए उन्हें “पिता” कहते आए हैं। लेकिन, जब हम बाइबल को देखते हैं, तो यह स्पष्ट होता है कि केवल नर स्वरूप के परमेश्वर ही नहीं, बल्कि नारी स्वरूप के परमेश्वर, यानी “माता” भी हैं।

यरूशलेम माता जो हमें अनंत जीवन देती हैं

इस तरह, बाइबल में उद्धार के स्थान के रूप में व्यक्त की गई यरूशलेम की वास्तविकता, माता परमेश्वर हैं। तब उद्धार और माता परमेश्वर के बीच क्या विशेष संबंध है?

परमेश्वर ने अपनी इच्छा से सभी वस्तुओं की सृष्टि की, ताकि हम उनकी बनाई प्रत्येक वस्तु के माध्यम से उनकी उपस्थिति और ईश्वरीय स्वभाव को जान सकें(प्रक 4:11; रो 1:18-20)। आइए हम परमेश्वर द्वारा बनाई गई उन सभी चीजों में से जीवन के बारे में सोचें। दुनिया में बहुत से जीवित प्राणी अपने पिता और माता से जीवन प्राप्त करते हैं। यद्यपि पिता का होना निःसंदेह आवश्यक है, लेकिन आखिर में गर्भवती होकर बच्चे को जन्म देना यह माता की भूमिका है।

परमेश्वर ने जीवन के जन्म में माता को महत्वपूर्ण भूमिका देने का क्या अर्थ है? यह दिखाता है कि जैसे जीवन माता के द्वारा दिया जाता है, वैसे ही अनन्त जीवन जिसकी प्रतिज्ञा परमेश्वर ने मानवजाति से की है, आत्मिक माता के द्वारा दिया जाएगा। केवल माता परमेश्वर के द्वारा ही हम अनन्त जीवन, अर्थात् उद्धार प्राप्त कर सकते हैं। इस तथ्य की पुष्टि परमेश्वर के स्वरूप में बनाए गए पहले व्यक्ति, आदम और हव्वा की सृष्टि के द्वारा भी की जा सकती हैं। आदम, परमेश्वर के स्वरूप में बनाया गया पहला व्यक्ति है और यीशु मसीह का प्रतीक है, जो इस पृथ्वी पर आने वाले हैं।

तौभी आदम से लेकर मूसा तक मृत्यु ने उन लोगों पर भी राज्य किया, जिन्होंने उस आदम, जो उस आनेवाले का चिह्न है, के अपराध के समान पाप न किया। रो 5:14

बाइबल की शिक्षा, त्रिएक के अनुसार, पुत्र परमेश्वर, यीशु मसीह, पिता परमेश्वर, यहोवा के समान हैं(यश 9:6)। दूसरे शब्दों में, यीशु स्वभाव में पिता परमेश्वर हैं। यदि आदम आने वाले पिता परमेश्वर को दर्शाता है, तो आदम की पत्नी हव्वा आने वाली माता परमेश्वर को दर्शाती है।

आदम ने अपनी पत्नी का नाम हव्वा रखा; क्योंकि जितने मनुष्य जीवित हैं उन सब की आदिमाता वही हुई। उत 3:20

इब्रानी भाषा में “हव्वा” का अर्थ जीवन है। परमेश्वर के स्वरूप में सृजी गई पहली स्त्री का नाम “हव्वा” यानी जीवन रखने का कारण यह है कि स्त्रियां माता के रूप में, अपने बच्चों को जीवन देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। बाइबल में हव्वा को ‘सभी जीवितों की माता’ कहा गया है, जिसका अर्थ है कि अनन्त जीवन अंततः माता परमेश्वर के द्वारा दिया जाता है।

यरूशलेम माता जो अंतिम दिनों में प्रकट होती हैं

बाइबल में, यह दर्ज है कि अनन्त जीवन देने वाली माता परमेश्वर कब प्रकट होंगी। 2,000 वर्ष पहले, यीशु ने अपने चेलों से बार-बार कहा, “मैं उन्हें अंतिम दिन फिर जिला उठाऊंगा,” जिसका अर्थ है कि वह उन्हें अंतिम दिन जीवन देंगे(यूह 6:39, 40, 44, 54)। भले ही उद्धारकर्ता, यीशु उस समय जीवन दे सकते थे, लेकिन उन्होंने उस कार्य को अंतिम दिन तक क्यों टाल दिया? इसका कारण यह है कि भविष्यवाणी में यरूशलेम माता परमेश्वर के प्रकट होने का उल्लेख किया गया है, जो अंत के दिनों में अनन्त जीवन प्रदान करेंगी।

यह प्रयोजन सृष्टि की भविष्यवाणी में भी प्रकट होता है। छः दिन की सृष्टि परमेश्वर के छुटकारे के कार्य के बारे में एक भविष्यवाणी है। सृष्टि के अंतिम दिन, छठवें दिन पर हव्वा की सृष्टि एक भविष्यवाणी है कि स्वर्गीय माता 6,000 वर्ष के उद्धार के कार्य के अंत में प्रकट होंगी। चूंकि संतों को परमेश्वर द्वारा प्रतिज्ञा किया गया अनन्त जीवन अंततः माता परमेश्वर के द्वारा दिया जाएगा, इसलिए यीशु ने इस बात पर जोर दिया कि जीवन अंतिम दिनों में दिया जाएगा जब माता परमेश्वर प्रकट होंगी।

आइए हम माता परमेश्वर के बारे में सीधी भविष्यवाणी की जांच करें, जो अंत के दिनों में प्रकट होंगी।

आओ, हम आनन्दित और मगन हों, और उसकी स्तुति करें, क्योंकि मेम्ने का विवाह आ पहुंचा है, और उसकी दुल्हिन ने अपने आप को तैयार कर लिया है… तब स्वर्गदूत ने मुझ से कहा, “यह लिख, कि धन्य वे हैं, जो मेम्ने के विवाह के भोज में बुलाए गए हैं।” प्रका 19:7-9

यह लिखा है कि मेमने का विवाह आ पहुंचा है, और उसकी पत्नी ने अपने आप को तैयार कर लिया है। चूंकि प्रथम आगमन में केवल मेमना, यीशु मसीह ही, प्रकट हुए थे, इसलिए यह वचन यीशु के पहले आगमन के बारे में नहीं बल्कि उनके दूसरे आगमन के बारे में भविष्यवाणी है। मेमने की पत्नी यीशु के दूसरे आगमन के समय, अर्थात् अन्तिम दिनों में प्रकट होती हैं। प्रेरित यूहन्ना ने यह भी दर्ज किया कि मेमने की पत्नी कौन है।

फिर जिन सात स्वर्गदूतों के पास सात अन्तिम विपत्तियों से भरे हुए सात कटोरे थे, उनमें से एक मेरे पास आया, और मेरे साथ बातें करके कहा, “इधर आ, मैं तुझे दुल्हिन अर्थात् मेम्ने की पत्नी दिखाऊंगा।”… और पवित्र नगर यरूशलेम को स्वर्ग से परमेश्वर के पास से उतरते दिखाया। प्रक 21:9-10

स्वर्गदूत ने कहा कि वह उसे दुल्हिन यानी मेम्ने की पत्नी दिखाएगा, और उसने उसे स्वर्गीय यरूशलेम दिखाया। इसलिए, दुल्हिन अर्थात् मेमने की पत्नी को स्वर्गीय यरूशलेम से दर्शाया गया है। प्रेरित पौलुस ने स्पष्ट किया कि स्वर्गीय यरूशलेम “हमारी माता” है, और उन लोगों को, जो उद्धार प्राप्त करेंगे “प्रतिज्ञा की सन्तान” और “स्वतंत्र स्त्री की सन्तान” कहा(गल 4:26-31)। उन्होंने स्पष्ट रूप से गवाही दी कि जिन संतों ने अनन्त जीवन की प्रतिज्ञा प्राप्त की है, उनके पास स्वर्गीय यरूशलेम माता है, जो स्वतंत्र है।

पुराने नियम के नबियों ने भविष्यवाणी की थी कि यरूशलेम शान्ति का स्रोत होगी, जिस प्रकार माता अपनी संतानों को शान्ति देती है, और शांति का विश्राम स्थल प्रदान करती है, और अंत में जीवन के जल का स्रोत बन जाएगी। जिस यरूशलेम को नबियों ने प्रकाशन में देखा, वह कोई और नहीं बल्कि माता परमेश्वर है। वर्तमान समय में, वह स्थान जिसे हमें उद्धार प्राप्त करने के लिए खोजना चाहिए, वह पृथ्वी की यरूशलेम नहीं बल्कि स्वर्गीय यरूशलेम, हमारी माता परमेश्वर है।