आत्मा और दुल्हिन का निमंत्रण,
“आओ! जीवन का जल सेंतमेंत लो।”

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सृष्टि के समय से अब तक, परमेश्वर सभी मानव जाति के उद्धार के लिए छुटकारे का कार्य कर रहे हैं। इस कार्य को पूरा करने के लिए, परमेश्वर ने इस अवधि को तीन युगों में विभाजित किया है: पिता का युग, पुत्र का युग और पवित्र आत्मा का युग। परमेश्वर ने प्रत्येक युग में अपने लोगों को जीवन का जल दिया है। पिता के युग में, पिता परमेश्वर यहोवा ने जीवन का जल दिया, और पुत्र के युग में, पुत्र परमेश्वर यीशु ने जीवन का जल दिया।

क्योंकि मेरी प्रजा ने दो बुराइयां की हैं : उन्होंने मुझ बहते जल के सोते को त्याग दिया है, और उन्होंने हौद बना लिए, वरन् ऐसे हौद जो टूट गए हैं, और जिन में जल नहीं रह सकता। यिर्म 2:13

“परन्तु जो कोई उस जल में से पीएगा जो मैं(यीशु) उसे दूंगा, वह फिर अनन्तकाल तक प्यासा न होगा; वरन् जो जल मैं उसे दूंगा, वह उसमें एक सोता बन जाएगा जो अनन्त जीवन के लिये उमड़ता रहेगा।” यूह 4:14

पवित्र आत्मा के युग में, पिता परमेश्वर और माता परमेश्वर, जो आत्मा और दुल्हिन के रूप में प्रकट होते हैं, जीवन का जल देते हैं।

आत्मा और दुल्हिन दोनों कहती हैं, “आ!” और सुननेवाला भी कहे, “आ!” जो प्यासा हो वह आए, और जो कोई चाहे वह जीवन का जल सेंतमेंत ले। प्रक 22:17

आत्मा और दुल्हिन, जो जीवन का जल देते हैं, परमेश्वर हैं

तब, आत्मा और दुल्हिन कौन हैं? आइए हम दो आयतों की तुलना करें।

आत्मा और दुल्हिन दोनों कहती हैं, “आ!” और सुननेवाला भी कहे, “आ!” जो प्यासा हो वह आए, और जो कोई चाहे वह जीवन का जल सेंतमेंत ले। प्रक 22:17

जो सिंहासन पर बैठा था, उसने कहा… “मैं प्यासे को जीवन के जल के सोते में से सेंतमेंत पिलाऊंगा… मैं उसका परमेश्वर होऊंगा…” प्रक 21:5-7

प्रकाशितवाक्य 22 में लिखा है कि “आत्मा और दुल्हिन” प्यासे लोगों को जीवन का जल सेंतमेंत देते हैं, और पिछले अध्याय, प्रकाशितवाक्य 21 में लिखा है कि “परमेश्वर” प्यासे लोगों को जीवन का जल सेंतमेंत देते हैं। इसलिए, आत्मा और दुल्हिन, जो जीवन का जल देते हैं, वह परमेश्वर हैं जो आत्मिक अकाल से पीड़ित सभी मानवजाति को अनन्त जीवन देते हैं।

पवित्र आत्मा पिता परमेश्वर हैं।

प्रकाशितवाक्य 22 में, आत्मा और दुल्हिन को प्रकाशितवाक्य 19 में मेमना और उसकी दुल्हिन के रूप में व्यक्त किया गया है।

“मेम्ने का विवाह आ पहुंचा है, और उसकी दुल्हिन ने अपने आप को तैयार कर लिया है।” प्रक 19:7

आत्मा और दुल्हिन दोनों कहती हैं, “आ!” प्रक 22:17

इन दो वचनों की तुलना करने पर, हम समझ सकते हैं कि मेमना और पवित्र आत्मा एक ही हैं। बाइबल में, “मेम्ना जो जगत के पाप उठा ले जाता है” यीशु को दर्शाता है (यूह 1:29)। लेकिन, प्रकाशितवाक्य 19 में मेमना यीशु को दर्शाता है, जो दूसरी बार आते हैं, क्योंकि वह अपने पहले आगमन के विपरीत अपनी दुल्हिन के साथ प्रकट होते हैं। इस प्रकार, प्रकाशितवाक्य 19 में मेमना केवल दूसरी बार आने वाले मसीह को संदर्भित करता है।

बाइबल यह भी गवाही देती है कि यीशु परमेश्वर हैं, अनन्तकाल के पिता हैं।

क्योंकि हमारे लिये एक बालक उत्पन्न हुआ, हमें एक पुत्र दिया गया है; और प्रभुता उसके कांधे पर होगी, और उसका नाम अद्भुत युक्ति करनेवाला पराक्रमी परमेश्वर, अनन्तकाल का पिता… रखा जाएगा। यश 9:6

चूंकि यीशु शरीर में आए यहोवा परमेश्वर हैं, इसलिए प्रकाशितवाक्य 22 में आत्मा निश्चित रूप से दूसरी बार आने वाले यीशु और पिता परमेश्वर हैं।

दुल्हिन माता परमेश्वर हैं।

तब, दुल्हिन कौन है जो आत्मा के साथ प्रगट होकर हमें जीवन का जल देती है?

फिर जिन सात स्वर्गदूतों के पास सात अन्तिम विपत्तियों से भरे हुए सात कटोरे थे, उनमें से एक मेरे पास आया, और मेरे साथ बातें करके कहा, “इधर आ, मैं तुझे दुल्हिन अर्थात् मेम्ने की पत्नी दिखाऊंगा।” तब वह मुझे आत्मा में एक बड़े और ऊंचे पहाड़ पर ले गया, और पवित्र नगर यरूशलेम को स्वर्ग से परमेश्वर के पास से उतरते दिखाया। प्रक 21:9-10

स्वर्गदूत ने कहा कि वह उसे दुल्हिन, मेम्ने की पत्नी दिखाएगा, और तब उसने उसे स्वर्गीय यरूशलेम दिखाया। इसलिए, बाइबल में दुल्हिन स्वर्गीय यरूशलेम को दर्शाती है। तब, बाइबल में स्वर्गीय यरूशलेम किसे दर्शाती है?

पर ऊपर की यरूशलेम स्वतंत्र है, और वह हमारी माता है। गल 4:26

यरूशलेम जो स्वर्ग में हैं वह हमारी माता हैं। इसका अर्थ यह है कि दुल्हिन, जिसे स्वर्गीय यरूशलेम के रूप में दर्शाया गया है, हमारी आत्मिक माता, अर्थात् माता परमेश्वर हैं, जो स्वर्ग में निवास करती हैं। माता परमेश्वर पवित्र आत्मा की दुल्हिन के रूप में शरीर धारण करके इस पृथ्वी पर प्रकट होती हैं।

इसलिए, प्रकाशितवाक्य 22:17 का अर्थ यह है कि पिता परमेश्वर, जिनकी भविष्यवाणी “आत्मा” के रूप में की गई है, और माता परमेश्वर, जिनकी भविष्यवाणी “दुल्हिन” के रूप में की गई है, अन्त के दिनों में हमें जीवन का जल देंगे। पवित्र आत्मा के युग में, परमेश्वर के लोग जो आत्मा और दुल्हिन के रूप में प्रकट हुए पिता परमेश्वर और माता परमेश्वर को ग्रहण करते हैं, वे जीवन का जल प्राप्त कर सकते हैं।

पवित्र आत्मा और दुल्हिन को कैसे प्राप्त करें

पवित्र आत्मा के युग में उद्धार प्राप्त करने के लिए, हमें जीवन का जल देने वाले आत्मा और दुल्हिन को ढूंढना और उनसे मिलना आवश्यक है। ऐसा करने के लिए, हमें पहले यह जानना चाहिए कि आत्मा और दुल्हिन कैसे प्रकट होते हैं, और जीवन का जल विशेष रूप से क्या है।

आत्मा और दुल्हिन शरीर में आते हैं

प्रकाशितवाक्य की पुस्तक में पवित्र आत्मा और दुल्हिन स्वर्गीय विवाह भोज में दूल्हा और दुल्हिन हैं (प्रक 19:7-9)। स्वर्गीय विवाह भोज के दृष्टान्त में मुख्य बात यह है कि उद्धारकर्ता शरीर में पृथ्वी पर आते हैं और संतों को जीवन का जल देने के लिए विवाह भोज में आमंत्रित करते हैं।

यीशु फिर उनसे दृष्टान्तों में कहने लगा, “स्वर्ग का राज्य उस राजा के समान है, जिसने अपने पुत्र का विवाह किया। और उसने अपने दासों को भेजा कि निमन्त्रित लोगों को विवाह के भोज में बुलाएं… अत: उन दासों ने सड़कों पर जाकर क्या बुरे क्या भले, जितने मिले, सबको इकट्ठा किया; और विवाह का घर अतिथियों से भर गया।” मत 22:1-10

पर्व के अंतिम दिन, जो मुख्य दिन है, यीशु खड़ा हुआ और पुकार कर कहा, “यदि कोई प्यासा हो तो मेरे पास आए और पीए। जो मुझ पर विश्वास करेगा, जैसा पवित्रशास्त्र में आया है, ‘उसके हृदय में से जीवन के जल की नदियां बह निकलेंगी’।” यूह 7:37-38

दो हजार वर्ष पहले, दूल्हा, यीशु, बाइबल की भविष्यवाणी के अनुसार, मनुष्य के रूप में इस पृथ्वी पर आए और आत्मिक रूप से प्यासे लोगों को स्वर्गीय विवाह भोज में आमंत्रित किया। अंतिम दिनों में भी यही बात दोहराई जाती है।

“आओ, हम आनन्दित और मगन हों, और उसकी स्तुति करें, क्योंकि मेम्ने का विवाह आ पहुंचा है, और उसकी दुल्हिन ने अपने आप को तैयार कर लिया है।”… तब स्वर्गदूत ने मुझ से कहा, “यह लिख, कि धन्य वे हैं, जो मेम्ने के विवाह के भोज में बुलाए गए हैं।” प्रक 19:7-9

आत्मा और दुल्हिन दोनों कहती हैं, “आ!” और सुननेवाला भी कहे, “आ!” जो प्यासा हो वह आए, और जो कोई चाहे वह जीवन का जल सेंतमेंत ले। प्रक 22:17

अंत के दिनों में, आत्मा और दुल्हिन प्यासे लोगों को स्वर्गीय विवाह भोज में आने और जीवन का जल पीने के लिए आमंत्रित करते हैं। तब, आत्मा और दुल्हिन किस रूप में प्रकट होंगे? जैसे यीशु ने किया था, वैसे ही आत्मा और दुल्हिन को भी शरीर में आकर मानव जाति को स्वर्गीय विवाह भोज में अगुवाई करनी चाहिए।

जीवन के जल का सत्य, नई वाचा का फसह

बाइबल में, जीवन का जल मुख्य रूप से परमेश्वर के वचन को दर्शाता है जो जीवन देता है (आम 8:11)। दूसरा, यह पवित्र आत्मा की उस आशीष को दर्शाता है जो परमेश्वर के पास आकर जीवन के सत्य को स्वीकार करने वाले संतों को सत्य के माध्यम से प्राप्त होती है (यूह 7:37-39)।

यशायाह नबी ने गवाही दी कि नए नियम के समय में संतों को दिए जाने वाले जीवन के जल का सत्य “सनातन वाचा” है।

“अहो सब प्यासे लोगो, पानी के पास आओ; और जिनके पास रुपया न हो, तुम भी आकर मोल लो और खाओ! दाखमधु और दूध बिन रुपए और बिना दाम ही आकर ले लो… कान लगाओ, और मेरे पास आओ; सुनो, तब तुम जीवित रहोगे ; और मैं तुम्हारे साथ सदा की वाचा बांधूंगा, अर्थात् दाऊद पर की अटल करुणा की वाचा। यश 55:1-3

परमेश्वर ने कहा कि वह प्यासे लोगों को मुफ्त में पानी देंगे, और वह अपने लोगों की आत्माओं को बचाने के लिए सदा की वाचा बांधेंगे। इसका अर्थ है कि परमेश्वर का वचन, जिसकी तुलना जीवन के जल से की गई है, सदा की वाचा है। इब्रानियों की पुस्तक के लेखक ने इस सदा की वाचा के बारे में इस प्रकार लिखा है।

अब शान्तिदाता परमेश्वर, जो हमारे प्रभु यीशु को जो भेड़ों का महान् रखवाला है सनातन वाचा के लहू के गुण से मरे हुओं में से जिलाकर ले आया। इब्र 13:20

नए नियम के समय में सदा की वाचा का लहू यीशु का लहू है। इसलिए, सदा की वाचा, यीशु के लहू के द्वारा स्थापित की गई नई वाचा है। यीशु ने हमें सिखाया कि नई वाचा का मुख्य सत्य फसह है।

और उसने उनसे कहा, “मुझे बड़ी लालसा थी कि दु:ख भोगने से पहले यह फसह तुम्हारे साथ खाऊं।”… इसी रीति से उसने भोजन के बाद कटोरा भी यह कहते हुए दिया, “यह कटोरा मेरे उस लहू में जो तुम्हारे लिये बहाया जाता है नई वाचा है।” लूक 22:15-20

यीशु ने फसह के दाखमधु को नई वाचा के रूप में संदर्भित किया और कहा कि उन्हें फसह खाने की बड़ी लालसा थी। इसका अर्थ है कि मानव जाति के उद्धार के लिए यीशु ने जो सदा की वाचा स्थापित की है, उसका मुख्य सत्य फसह है। नई वाचा के फसह में अनन्त जीवन की आशीष निहित है।

यीशु ने उनसे कहा, “मैं तुम से सच सच कहता हूं कि जब तक तुम मनुष्य के पुत्र का मांस न खाओ, और उसका लहू न पीओ, तुम में जीवन नहीं। जो मेरा मांस खाता और मेरा लहू पीता है, अनन्त जीवन उसी का है; और मैं उसे अंतिम दिन फिर जिला उठाऊंगा।” यूह 6:53-54

यीशु ने कहा कि हमें अनन्त जीवन पाने के लिए उनका मांस खाना चाहिए और उनका लहू पीना चाहिए। तब, यीशु ने अपने लोगों को अपना मांस खाने और लहू पीने की अनुमति किस माध्यम से दी? यह नई वाचा का फसह है। नई वाचा का फसह, निस्संदेह, अनन्त जीवन का सत्य, अर्थात् जीवन का जल है।

इसलिए, आत्मा और दुल्हिन को, जो प्यासे लोगों को जीवन का जल देते हैं, नई वाचा का फसह लाना चाहिए। चर्च के इतिहास के अनुसार, 325 ई. में निकिया की परिषद में नई वाचा का फसह मिटा दिया गया था। परिणामस्वरूप, लगभग 1,600 वर्षों तक किसी ने भी फसह नहीं मनाया। जीवन का सत्य, अर्थात नई वाचा का फसह जो लंबे समय से खो गया था, अंत के दिनों में मानव जाति को बचाने के लिए शरीर में आए आत्मा और दुल्हिन द्वारा पुनः स्थापित किया गया है। अब आपकी बारी है कि आप आत्मा और दुल्हिन, अर्थात् पिता परमेश्वर और माता परमेश्वर के निमंत्रण का उत्तर दें, जो नई वाचा के फसह के द्वारा जीवन का जल, अर्थात् अनन्त जीवन देते हैं।