बाइबल भविष्यवाणी करती है कि यरूशलेम से जीवन का जल बह निकलेगा और पूरे वर्ष भर सभी समुद्रों की ओर बहेगा।
उस दिन यरूशलेम से बहता हुआ जल फूट निकलेगा उसकी एक शाखा पूरब के ताल और दूसरी पश्चिम के समुद्र की ओर बहेगी, और धूप के दिनों में और जाड़े के दिनों में भी बराबर बहती रहेंगी। जक 14:8
यरूशलेम, जो फिलिस्तीन में स्थित है, एक ऐसा नगर है जो घाटियों से घिरा हुआ है और जिसकी ऊंचाई के कारण प्राकृतिक जल की आपूर्ति सुनिश्चित करना कठिन हो जाता है। इसके अलावा, यहां की वार्षिक वर्षा दुनिया के अन्य क्षेत्रों की तुलना में अपेक्षाकृत कम होती है। यहां तक कि जब हम जीवन के जल के आत्मिक महत्व पर विचार करते हैं, तो बाइबल की भविष्यवाणी को समझना चुनौतीपूर्ण हो जाता है क्योंकि वर्तमान में उस क्षेत्र की अशांति को देखा जाए तो यह उस यरूशलेम से बिलकुल विपरीत है, जिसे निरंतर बहने वाले स्रोत के रूप में बताया गया है जहां से यह जीवनदायक जल बहता है। आइए हम देखें कि उद्धार का स्थान, यरूशलेम कहां है जहां से जीवन का जल बहता है, और बाइबल की भविष्यवाणी का सच्चा अर्थ क्या है।
परमेश्वर हमें जीवन का जल देते हैं
बाइबल में आत्मिक जीवन का जल परमेश्वर का वचन, जो आत्मा के जीवन के लिए आवश्यक है, और पवित्र आत्मा, जो सत्य के वचनों के माध्यम से संतों को प्रदान किया जाता है, दोनों को दर्शाता है(आम 8:11-12; यूह 7:37-39)। जिस प्रकार पानी शारीरिक जीवन के लिए अत्यावश्यक है, उसी प्रकार हमारे आत्मिक जीवन के लिए जीवन का जल अत्यावश्यक है। बाइबल कहती है कि प्रत्येक युग में केवल उद्धारकर्ता ही जीवन का जल देता है।
पिता के युग में, यहोवा परमेश्वर ने जीवन का जल दिया।
क्योंकि मेरी प्रजा ने दो बुराइयां की हैं: उन्होंने मुझ बहते जल के सोते को त्याग दिया है, और उन्होंने हौद बना लिए, वरन् ऐसे हौद जो टूट गए हैं, और जिन में जल नहीं रह सकता। यिर्म 2:13
पिता के युग में, केवल वही लोग जो यहोवा पर विश्वास करते थे, जीवन का जल प्राप्त कर सकते थे। पुत्र के युग में, उद्धारकर्ता यीशु ने जीवन का जल दिया।
पर्व के अंतिम दिन, जो मुख्य दिन है, यीशु खड़ा हुआ और पुकार कर कहा, “यदि कोई प्यासा हो तो मेरे पास आए और पीए। जो मुझ पर विश्वास करेगा, जैसा पवित्रशास्त्र में आया है, ‘उसके हृदय में से जीवन के जल की नदियां बह निकलेंगी’।” यूह 7:37-38
यीशु ने उत्तर दिया, “यदि तू परमेश्वर के वरदान को जानती, और यह भी जानती कि वह कौन है जो तुझसे कहता है, ‘मुझे पानी पिला,’ तो तू उससे मांगती, और वह तुझे जीवन का जल देता।”… परन्तु जो कोई उस जल में से पीएगा जो मैं उसे दूंगा, वह फिर अनन्तकाल तक प्यासा न होगा; वरन् जो जल मैं उसे दूंगा, वह उसमें एक सोता बन जाएगा जो अनन्त जीवन के लिये उमड़ता रहेगा। यूह 4:10-14
पुत्र के युग में केवल वही लोग जिन्होंने उद्धारकर्ता यीशु को ग्रहण किया, जीवन का जल प्राप्त कर सकते थे। इसी कारण यीशु ने उस सामरी स्त्री से कहा, “यदि तू परमेश्वर के वरदान को जानती, और यह भी जानती कि वह कौन है जो तुझसे कहता है, ‘मुझे पानी पिला,’ तो तू उससे मांगती, और वह तुझे जीवन का जल देता।”
जीवन का जल देने वाले आत्मा और दुल्हिन
बाइबल भविष्यवाणी करती है कि पवित्र आत्मा के अंतिम युग में, पवित्र आत्मा और दुल्हिन जीवन का जल देंगे।
आत्मा और दुल्हिन दोनों कहती हैं, “आ!” और सुननेवाला भी कहे, “आ!” जो प्यासा हो वह आए, और जो कोई चाहे वह जीवन का जल सेंतमेंत ले। प्रक 22:17
पिता के युग और पुत्र के युग में, जिन्होंने उद्धारकर्ता को सही तरह से पहचाना और विश्वास किया, उन्होंने जीवन का जल प्राप्त किया। उसी प्रकार पवित्र आत्मा के युग में केवल वे ही लोग, जो पवित्र आत्मा और दुल्हिन को पहचानते हैं और उन पर विश्वास करते हैं, जीवन का जल प्राप्त कर सकते हैं। त्रिएक के अनुसार, प्रकाशितवाक्य 22 में पवित्र आत्मा पिता परमेश्वर हैं। तब, दुल्हिन कौन है जो पवित्र आत्मा के साथ हमें जीवन का जल देती है?
फिर जिन सात स्वर्गदूतों के पास सात अन्तिम विपत्तियों से भरे हुए सात कटोरे थे, उनमें से एक मेरे पास आया, और मेरे साथ बातें करके कहा, “इधर आ, मैं तुझे दुल्हिन अर्थात् मेम्ने की पत्नी दिखाऊंगा।”… और पवित्र नगर यरूशलेम को स्वर्ग से परमेश्वर के पास से उतरते दिखाया। प्रक 21:9-10
स्वर्गदूत ने यूहन्ना से कहा कि वह उसे दुल्हिन दिखाएगा और उसने उसे यरूशलेम को स्वर्ग से उतरते हुए दिखाया। दूसरे शब्दों में, प्रकाशितवाक्य 22 में जीवन का जल देने वाली दुल्हिन, स्वर्गीय यरूशलेम को दर्शाती है। ये वचन जकर्याह की पुस्तक की भविष्यवाणी के समान हैं जो गवाही देती है कि भविष्य में यरूशलेम से जीवन का जल बह निकलेगा। जब हम यह समझते हैं कि दुल्हिन कौन है जो पवित्र आत्मा अर्थात् पिता परमेश्वर के साथ प्रकट होती है और जीवन का जल देती है, तब हम उस भविष्यवाणी का सच्चा अर्थ समझ सकते हैं, जो यरूशलेम का वर्णन जीवन के जल के स्रोत के रूप में करती है।
भविष्यवाणी का अर्थ, “जीवन का जल यरूशलेम से बहता है”
प्रेरित पौलुस ने लिखा कि स्वर्गीय यरूशलेम किसे दर्शाती है।
पर ऊपर की यरूशलेम स्वतंत्र है, और वह हमारी माता है। गल 4:26
उसने गवाही दी कि ऊपर की यरूशलेम “हमारी माता” है। यहां “हमारी” उन संतों को दर्शाता है जो बचाए जाएंगे। जैसे यीशु ने परमेश्वर को “हमारे पिता” कहा और हमें पिता परमेश्वर के बारे में सिखाया, वैसे ही प्रेरित पौलुस, जिसने यीशु की शिक्षाओं का पालन किया, बाइबल में “हमारी माता” लिखकर यह प्रकट किया कि स्वर्ग में संतों की आत्मिक माता अर्थात् माता परमेश्वर हैं।
इसलिए प्रकाशितवाक्य 21 में स्वर्गीय यरूशलेम के रूप में दर्शाई गई “मेमने की पत्नी” और प्रकाशितवाक्य 22 में उल्लिखित “दुल्हिन” माता परमेश्वर को दर्शाती हैं। अंतिम दिनों में पवित्र आत्मा, पिता परमेश्वर माता परमेश्वर के साथ प्रकट होते हैं और हमें जीवन का जल देते हैं। जैसा कि पहले उल्लेख किया गया है, यह भविष्यवाणी, “उस दिन जीवन का जल यरूशलेम से बह निकलेगा,” स्वर्गीय माता यरूशलेम के बारे में है जो अंतिम युग में जीवन के जल का स्रोत होंगी।
उस दिन यरूशलेम से बहता हुआ जल फूट निकलेगा उसकी एक शाखा पूरब के ताल और दूसरी पश्चिम के समुद्र की ओर बहेगी, और धूप के दिनों में और जाड़े के दिनों में भी बराबर बहती रहेंगी। जक 14:8
यह भविष्यवाणी फिलिस्तीन में स्थित शारीरिक यरूशलेम के बारे में नहीं है। यह एक भविष्यवाणी है कि स्वर्गीय यरूशलेम माता अंतिम दिनों में पूरे वर्ष आराम किए बिना हमें जीवन का जल प्रदान करेंगी। यहेजकेल नबी ने भी माता परमेश्वर द्वारा दिए जानेवाले जीवन के जल के बारे में इस प्रकार भविष्यवाणी की:
फिर वह मुझे भवन के द्वार पर लौटा ले गया; और भवन की डेवढ़ी के नीचे से एक सोता निकलकर पूर्व की ओर बह रहा था। भवन का द्वार तो पूर्वमुखी था, और सोता भवन की दाहिनी ओर और वेदी की दक्षिणी ओर नीचे से निकलता था। तब वह मुझे उत्तर के फाटक से होकर बाहर ले गया, और बाहर बाहर से घुमाकर बाहरी अर्थात् पूर्वमुखी फाटक के पास पहुंचा दिया, और दक्षिणी ओर से जल पसीजकर बह रहा था। जब वह पुरुष हाथ में मापने की डोरी लिए हुए पूर्व की ओर निकला, तब उसने भवन से लेकर, हज़ार हाथ तक उस सोते को मापा, और मुझे जल में से चलाया, और जल टखनों तक था। उसने फिर हज़ार हाथ मापकर मुझे जल में से चलाया, और जल घुटनों तक था, फिर और हज़ार हाथ मापकर मुझे जल में से चलाया, और जल कमर तक था। तब फिर उसने एक हज़ार हाथ मापे, और ऐसी नदी हो गई जिसके पार मैं न जा सका, क्योंकि जल बढ़कर तैरने के योग्य था; अर्थात् ऐसी नदी थी जिसके पार कोई न जा सकता था। यहेज 47:1-5
यहां, भवन यरूशलेम मंदिर को संकेत करता है। जीवन का जल यरूशलेम मंदिर से बहता था, और पहले तो वह टखनों तक था, लेकिन जैसे-जैसे वह आगे बहता गया, वह घुटनों और कमर तक बढ़ गया, और अंत में एक ऐसी नदी बन गई जिसे कोई पार नहीं कर सकता था। यह भविष्यवाणी यरूशलेम की वास्तविकता, माता परमेश्वर से बहनेवाले जीवन के जल की शक्ति के बारे में है। जीवन के जल का वचन जो स्वर्गीय यरूशलेम से शुरू हुआ, पूरे संसार में फैल रहा है और संसार को पुनर्जीवित कर रहा है।
जीवन के जल का स्रोत, यरूशलेम माता परमेश्वर हैं, जो अनन्त जीवन देती है
तब उसने मुझ से कहा, “यह सोता पूर्वी देश की ओर बह रहा है, और अराबा में उतरकर ताल की ओर बहेगा; और यह भवन से निकला हुआ सीधा ताल में मिल जाएगा; और उसका जल मीठा हो जाएगा।… और जहां कहीं यह नदी पहुंचेगी वहां सब जन्तु जीएंगे।… नदी के दोनों किनारों पर भांति भांति के खाने योग्य फलदायी वृक्ष उपजेंगे, जिनके पत्ते न मुर्झाएंगे और उनका फलना भी कभी बन्द न होगा, क्योंकि नदी का जल पवित्रस्थान से निकला है। उनमें महीने महीने नये नये फल लगेंगे। उनके फल तो खाने के, और पत्ते औषधि के काम आएंगे।” यहेज 47:8-9, 12
बाइबल कहती है कि जहां कहीं जीवन का जल बहता है, वहां ताल का जल मीठा हो जाता है और सभी जीवित प्राणी जीवित हो जाते हैं। बाइबल में, समुद्र संसार की सारी मानवजाति को दर्शाता है(प्रक 17:15)। स्वर्गीय माता के जीवन के जल में पूरी दुनिया को पुनर्जीवित करने की अद्भुत शक्ति है। यह भी कहा जाता है कि जीवन के जल से उगाए गए पेड़ों की पत्तियों का उपयोग आत्माओं को बचाने के लिए औषधि के रूप में भी किया जा सकता है। यहेजकेल की भविष्यवाणी प्रकाशितवाक्य की पुस्तक में भी दिखाई देती है।
फिर उसने मुझे बिल्लौर की सी झलकती हुई, जीवन के जल की नदी दिखाई, जो परमेश्वर और मेम्ने के सिंहासन से निकलकर उस नगर की सड़क के बीचों बीच बहती थी। नदी के इस पार और उस पार जीवन का वृक्ष था; उसमें बारह प्रकार के फल लगते थे, और वह हर महीने फलता था; और उस वृक्ष के पत्तों से जाति-जाति के लोग चंगे होते थे। प्रक 22:1-2
वह सिंहासन जहां से जीवन का जल बह निकलता है, वह यरूशलेम है(यिर्म 3:17)। जैसे यहेजकेल की भविष्यवाणी है, वैसे ही प्रकाशितवाक्य की पुस्तक में भी यह भविष्यवाणी की गई है कि जीवन के जल की नदी के किनारे जीवन के वृक्ष हर महीने बारह फल फलेंगे, और उनकी पत्तियां सब जातियों को चंगा करेंगी। तब, लोग जीवन के जल को प्राप्त करने के बाद किस प्रकार की महिमा का आनन्द लेंगे?
फिर रात न होगी, और उन्हें दीपक और सूर्य के उजियाले की अवश्यकता न होगी, क्योंकि प्रभु परमेश्वर उन्हें उजियाला देगा, और वे युगानुयुग राज्य करेंगे। प्रक 22:5
यहां “वे” उन संतों को संकेत करता हैं जो स्वर्गीय यरूशलेम माता से जीवन का जल प्राप्त करते हैं। वे जीवन का जल प्राप्त करेंगे और स्वर्ग में युगानुयुग राज्य करेंगे।
जैसे कि हमने बाइबल के द्वारा देखा है, यरूशलेम, जो जीवन के जल का स्रोत है, माता परमेश्वर को दर्शाता है, और जो लोग माता परमेश्वर से जीवन का जल प्राप्त करते हैं, उन्हें अनन्त स्वर्ग के राज्य की आशीष मिलेगी। इसके विपरीत, बाइबल यह चेतावनी देती है कि अंतिम युग में यदि लोग स्वर्गीय माता से जीवन का जल प्राप्त नहीं करते हैं, तो वे अनन्त जीवन, उद्धार, महिमा और स्वर्ग की आशीषों से वंचित रह जाएंगे। बाइबल की इन शिक्षाओं को समझने के द्वारा, आइए हम स्वर्गीय यरूशलेम को सही तरह से पहचानें और जीवन का जल प्राप्त करें।