हमारे सिय्योन के सदस्यों के साथ बात करते समय, यह स्पष्ट हो जाता है कि उनकी इच्छा एक समान है। वे निरंतर स्वर्ग के राज्य की आकांक्षा रखते हुए प्रेम से भरपूर होना चाहते हैं, सुसमाचार का प्रचुर फल उत्पन्न करना चाहते हैं, और एक सुंदर चरित्र में बदल जाना चाहते हैं। जैसे कि परमेश्वर प्रेम हैं, वैसे ही उनकी संतान भी प्रेम से पहचानी जाती है क्योंकि वे केवल अपने लिए भला नहीं चाहतीं, बल्कि सबके लिए आनंद लाने वाली बातों को खोजती हैं।
बच्चे अपने माता-पिता के सदृश होते हैं। परमेश्वर की संतानों को परमेश्वर के सदृश बनकर प्रेम में नया जन्म लेना चाहिए(1यूह 4:7-8; यूह 3:3)। उन संतानों के लिए जिन्होंने स्वर्ग में मृत्यु के योग्य पाप किए और अनन्त मृत्यु के लिए नियुक्त किए गए, परमेश्वर ने हमारे बदले मरते हुए अपने जीवन का बलिदान किया। परमेश्वर का बहुमूल्य लहू, जो हमें उनके प्रायश्चित्त के द्वारा जीवन प्रदान करता है, हमें दिया गया सबसे बड़ा प्रेम है। क्योंकि हम उनके महान प्रेम को जानते हैं, हम परमेश्वर पर विश्वास करते हैं, और अब उनका पालन करते हुए स्वर्ग के राज्य में जा रहे हैं।
चूंकि हमने परमेश्वर से सबसे बड़ा प्रेम प्राप्त किया है, तो हम और क्या चाह सकते हैं? परमेश्वर ने कहा, “जैसा मैं ने तुम से प्रेम रखा है, वैसा ही तुम भी एक दूसरे से प्रेम रखो”(यूह 13:34)। इसका मतलब है कि क्योंकि परमेश्वर ने हमसे प्रेम किया है और हमें अनन्त जीवन दिया है, इसलिए हमें केवल प्रेम प्राप्त करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए, बल्कि प्रेम देने की कोशिश करनी चाहिए। जब हम एक दूसरे के प्रति विचारशील रहते हैं और प्रेम करते हैं, तो हमारे हृदय में खुशी आती है और हम परीक्षा में नहीं पड़ते। प्रेम इस बात पर विचार करता है कि क्या हमारे द्वारा कहे गए शब्द दूसरे व्यक्ति को आनंद, खुशी देंगे या कोई चोट पहुंचाएंगे। परमेश्वर पर विश्वास करने से पहले, हम अपनी इच्छा के अनुसार बोलते और कार्य करते थे, और अपने तरीके से काम करते थे। लेकिन, अब हमें परमेश्वर के वचन का पालन करते हुए, खुद से पहले दूसरों के बारे में सोचना चाहिए। एक दूसरे से प्रेम करना नया जन्म लेने की एक प्रक्रिया है।
नया जन्म लेने के लिए, हमें मसीह के अच्छे और सुंदर हृदय को अपनाना चाहिए, जिन्होंने पापियों के लिए प्रार्थना की और हमारे उद्धार के लिए खुद को बलिदान किया। प्रेम धीरजवन्त और कृपालु है। प्रेम अपनी बड़ाई नहीं करता, और फूलता नहीं। प्रेम अपना लाभ नहीं चाहता, बल्कि पहले दूसरों के बारे में सोचता है(1कुर 13:4-7)। शब्दों और कार्यों सहित हर पहलू में, हमें परमेश्वर के पुत्र और पुत्रियों के योग्य बनकर संसार का नमक और ज्योति बनना चाहिए।
स्वार्थी हृदय से प्रेममय हृदय में परिवर्तन चुनौतीपूर्ण है। लेकिन, उस कठिन कार्य को करने से, हम बहुत सी आशीषें प्राप्त करते हैं। प्रेरित पौलुस ने कहा, “मैं प्रतिदिन मरता हूं।” इसका अर्थ शारीरिक मृत्यु नहीं है, बल्कि प्रतिदिन वह अपने घमंड और सांसारिक लालचों को मारता है। केवल जब पापी स्वभाव हमारे भीतर मर जाता है, तब मसीह हमारे भीतर कार्य कर सकते है और प्रेम हमारे माध्यम से दूसरों को दिया जा सकता है।
हम फसह के द्वारा लोगों को अनन्त जीवन देने वाला सच्चा प्रेम साझा कर रहे हैं। इस प्रेम को देने के लिए, हमें सुंदर मन रखना चाहिए, सुंदर व्यवहार करना चाहिए, सुंदर भाषा का उपयोग करना चाहिए और जरूरतमंद पड़ोसियों के प्रति दया करना चाहिए। आप इसे क्यों नहीं आजमाते? जब आप कोशिश करते हैं तो प्रेम करना और प्रेम बांटना आदत बन जाती है। जब आप प्रार्थना करते हैं और इसे अभ्यास में लाते हैं, तो परमेश्वर आपके प्रयासों को देखते हैं और आपको परमेश्वर की सुंदर संतान के रूप में बदल देते हैं।
सुसमाचार के लिए हमारे कार्य में अक्सर कठिनाइयां आती हैं। लेकिन, इन कठिनाइयों को अच्छे दुख के रूप में माना जाता है, क्योंकि वे अंततः हमें स्वर्ग में महिमा प्राप्त करने की ओर ले जाती हैं। एक व्यक्ति जो अच्छे कर्म करते हुए कठिनाई को सहन करता है, उसका नाम उज्ज्वलता से चमकता है। वे लोग जो सामरिया और पृथ्वी के छोर तक जाकर खोए हुओं को खोजते हैं और सुसमाचार का प्रचार करते हैं, वे आत्मिक स्वतंत्रता सेनानी हैं जो स्वर्ग के राज्य की पुनःस्थापना करेंगे। वे पैर कितने सुंदर हैं जो मरने के लिए नियत किए गए लोगों को बचाने के लिए जाते हैं? परमेश्वर उन लोगों से कितना प्रेम करते हैं जो नरक में सजा पाने वाली आत्मा को स्वर्ग तक पहुंचाने का कार्य करते हैं? इसलिए परमेश्वर ने कहा कि वह उन्हें राज-पदधारी याजक बनाएंगे।
स्वर्ग के राज्य में, जहां सदा नई सृष्टि होती रहती है, आप हमेशा के लिए जीवित रहने पर भी इससे कभी नहीं ऊबेंगे। स्वर्ग में प्रवेश करने का प्रयास कीजिए, जहां आप परमेश्वर के साथ एक ही मेज पर भोजन करेंगे और आकाशगंगाओं में चल रहे उत्सव के मध्य उस आनन्द में भाग लेंगे। यदि आप परमेश्वर के वचन पर विश्वास करते हैं और उसे अभ्यास में लाते हैं, तो आप नया जन्म ले सकते हैं। सिय्योन की संतानों, मैं आशा करती हूं कि आप स्वर्गीय परिवार के सदस्यों को ढूंढ़ें, उन्हें नया जन्म लेने के लिए मार्गदर्शन करें, और एक साथ स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करें।