बाइबल में ‘माता परमेश्वर’ |
उत्पत्ति से प्रकाशितवाक्य तक

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माता परमेश्वर सृष्टिकर्ता हैं, जिन्होंने पिता परमेश्वर के साथ आकाश और पृथ्वी को बनाया। उन्हें स्वर्गीय माता या आत्मिक माता भी कहा जाता है। बाइबल परमेश्वर के अस्तित्व को पिता और माता के रूप में समझाती है। लंबे समय से मानव जाति पिता परमेश्वर को जानती आई है, लेकिन भविष्यवाणी के अनुसार, माता परमेश्वर को अंत के दिनों में जाना जाएगा। इसी कारण बहुत से लोगों के मन में यह पूर्वाग्रह है कि केवल पिता परमेश्वर ही हैं। बाइबल, एकमात्र पुस्तक है जो उद्धारकर्ता की गवाही देती है, और हमें उत्पत्ति से लेकर प्रकाशितवाक्य तक माता परमेश्वर के बारे में बताती है।

एलोहीम और माता परमेश्वर

इब्रानी भाषा में लिखे गए पुराने नियम के मूल पाठ में, परमेश्वर या ईश्वर के लिए उपयोग किए जाने वाले शब्द एल(אֵל), एलोहा(אֱלוֹהַּ) और एलोहीम(אֱלֹהִים) हैं, और जिनमें से सबसे अधिक उपयोग किया जाने वाला शब्द एलोहीम है। एलोहीम बहुवचन संज्ञा है जो ईश्वरों या एक से अधिक परमेश्वर को दर्शाता है। इसका मतलब है कि परमेश्वर एक से अधिक होने चाहिए। एलोहीम शब्द पुराने नियम में लगभग 2,500 बार पाया जाता है, जिसमें बाइबल का पहला वाक्य भी शामिल है, “आदि में परमेश्वर ने आकाश और पृथ्वी की सृष्टि की।” यह एक बहुत ही सामान्य अभिव्यक्ति है। सृष्टिकर्ता परमेश्वर को बहुवचन संज्ञा के रूप में वर्णित करने का कारण उत्पत्ति 1:26-27 में पाया जाता है।

फिर परमेश्वर ने कहा, “हम मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार अपनी समानता में बनाएं…” तब परमेश्वर ने मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार उत्पन्न किया, अपने ही स्वरूप के अनुसार परमेश्वर ने उसको उत्पन्न किया; नर और नारी करके उसने मनुष्यों की सृष्टि की। उत 1:26-27

जब परमेश्वर ने मनुष्य की सृष्टि की, तब परमेश्वर ने कहा, “हम मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार अपनी समानता में बनाएं।” नर और नारी परमेश्वर के स्वरूप में बनाए गए हैं। इसका अर्थ है कि परमेश्वर में नर और नारी स्वरूप मौजूद हैं। यदि केवल पिता परमेश्वर ही अस्तित्व में होते, तो उन्हें स्वयं के लिए बहुवचन सर्वनाम “हम” और “हमारा” के स्थान पर एकवचन सर्वनाम “मैं” का उपयोग करना चाहिए था। लेकिन, परमेश्वर बार-बार “हम” पर जोर देते हैं क्योंकि दो परमेश्वर हैं—पिता परमेश्वर और माता परमेश्वर। जैसे नए नियम में पिता परमेश्वर का उल्लेख किया गया है(मत्ती 6:9), वैसे ही माता परमेश्वर का भी सीधे तौर पर उल्लेख किया गया है।

पर ऊपर की यरूशलेम स्वतंत्र है, और वह हमारी माता है। गल 4:26

ऊपर की यरूशलेम, यानी स्वर्गीय मंदिर, माता परमेश्वर को दर्शाती है। यहां “हमारी” उन संतों को दर्शाता है जो बचाए जाएंगे। अंतिम युग में उद्धार की आशीष प्राप्त करने वाले सदस्य वे हैं, जो परमेश्वर की संतान के रूप में एलोहीम, यानी पिता परमेश्वर और माता परमेश्वर पर विश्वास करते हैं और उन्हें ग्रहण करते हैं। पिता, माता और संतान यह एक परिवार के सदस्यों के बीच उपयोग किए जाने वाले शब्द हैं। स्वर्गीय परिवार में भी पिता, माता और संतान होते हैं। माता के बिना, कोई संतान नहीं हो सकती; और संतान के बिना, कोई भी पिता नहीं बन सकता। हम परमेश्वर को “पिता” इसलिए बुला सकते हैं क्योंकि माता परमेश्वर का अस्तित्व है।

स्वर्गीय विवाह भोज में दुल्हिन

यीशु मसीह ने 2,000 वर्ष पहले विवाह भोज के दृष्टान्त के माध्यम से माता परमेश्वर के अस्तित्व का संकेत दिया था। उन्होंने स्वर्ग के राज्य की तुलना विवाह भोज में प्रवेश करने से की। दृष्टान्त में, राजा जिसने विवाह भोज को आयोजित किया, वह परमेश्वर को दर्शाता है, और दूल्हा यीशु को दर्शाता है, और आमंत्रित अतिथि संतों को दर्शाते हैं(मत 22:1-14)। दुल्हिन का उल्लेख न किए जाने का कारण यह नहीं है कि वह अस्तित्व में नहीं है, बल्कि यह है कि दुल्हिन के प्रकट होने का समय नहीं आया था। यदि शुरुआत से ही कोई दुल्हिन न होती, तो विवाह भोज की, जिसमें दुल्हिन ही मुख्य पात्र होती है, स्वर्ग के राज्य से तुलना करने का कोई मतलब नहीं होता। प्रकाशितवाक्य की पुस्तक में भविष्यवाणी के समय के आगमन और दुल्हिन के प्रकट होने का वर्णन किया गया है।

… क्योंकि मेम्ने का विवाह आ पहुंचा है, और उसकी दुल्हिन ने अपने आप को तैयार कर लिया है… “यह लिख, कि धन्य वे हैं, जो मेम्ने के विवाह के भोज में बुलाए गए हैं।” प्रका 19:7-9

विवाह भोज अंततः दुल्हिन, मेमने की पत्नी, के प्रकट होने के साथ पूरा होता है। मेमना यीशु मसीह(यूह 1:29) को दर्शाता है और त्रिएक के अनुसार पिता परमेश्वर को भी दर्शाता है। बाइबल बताती है कि दुल्हिन “पवित्र नगर यरूशलेम जो स्वर्ग से उतरती है ”(प्रक 21:9-10), और यह यरूशलेम “हमारी माता” है(गल 4:26)। इसलिए, विवाह भोज की दुल्हिन, जो नियत समय पर प्रकट होती है, वह माता परमेश्वर हैं। जो लोग इस दृष्टान्त को समझते हैं और पिता परमेश्वर और माता परमेश्वर के पास आते हैं, वे धन्य लोग हैं जिन्हें विवाह भोज में आमंत्रित किया गया है। वे धन्य हैं क्योंकि वे स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करने और अनन्त जीवन प्राप्त करने के योग्य हैं।

आत्मा और दुल्हिन दोनों कहती हैं, “आ!” और सुननेवाला भी कहे, “आ!” जो प्यासा हो वह आए, और जो कोई चाहे वह जीवन का जल सेंतमेंत ले। प्रक 22:17

बाइबल के अंत में, दुल्हिन, यानी माता परमेश्वर को जीवन का जल देने वाली के रूप में वर्णित किया गया है। जीवन का जल परमेश्वर के वचन को दर्शाता है जो अनन्त जीवन की ओर ले जाता है।

सृष्टि का प्रयोजन और माता परमेश्वर

हर कोई इस दुनिया में अपने पिता और माता के द्वारा जन्म लेता है। यह मनुष्यों के साथ-साथ सभी प्रजातियों के लिए भी ऐसा ही है। आकाश में उड़ने वाले पक्षी और पानी में मछलियां सभी अपने पिता और माता से जीवन प्राप्त करते हैं। मैदान में दौड़ने वाले जानवर भी वैसे ही हैं। विशेष रूप से, जीवन के पैदा होने में माता मुख्य भूमिका निभाती है। जिन्होंने सारी सृष्टि का प्रयोजन किया, वह परमेश्वर है, जिन्होंने सभी चीजों को बनाया।

“हे हमारे प्रभु और परमेश्वर, तू ही महिमा और आदर और सामर्थ्य के योग्य है; क्योंकि तू ही ने सब वस्तुएं सृजीं और वे तेरी ही इच्छा से थीं और सृजी गईं।” प्रक 4:11

इस पृथ्वी पर की वस्तुएं स्वर्ग में की वस्तुओं का प्रतिरूप और छाया हैं(इब्र 8:5)। बाइबल यह भी कहती है कि परमेश्वर का परमेश्वरत्व सारी सृष्टि में प्रतिबिंबित होता है।

इसलिये कि परमेश्वर के विषय का ज्ञान उनके मनों में प्रगट है, क्योंकि परमेश्वर ने उन पर प्रगट किया है। उसके अनदेखे गुण, अर्थात् उसकी सनातन सामर्थ्य और परमेश्वरत्व, जगत की सृष्टि के समय से उसके कामों के द्वारा देखने में आते हैं, यहां तक कि वे निरुत्तर हैं। रो 1:19-20

परमेश्वर की क्या इच्छा है कि उन्होंने पृथ्वी पर सभी जीवित प्राणियों को उनके पिता और माता के द्वारा जीवन प्राप्त करने योग्य बनाया? वह हमें यह दिखाने के लिए है कि अनंत जीवन भी पिता परमेश्वर और माता परमेश्वर दोनों के द्वारा दिया जाता है। परमेश्वर के स्वरूप में बनाए गए पहले व्यक्ति, अर्थात् आदम और हव्वा की सृष्टि के द्वारा भी हम परमेश्वर की इच्छा को समझ सकते हैं।

आदम ने अपनी पत्नी का नाम हव्वा(जिसका अर्थ जीवन है) रखा; क्योंकि जितने मनुष्य जीवित हैं उन सब की आदिमाता वही हुई। उत 3:20

जैसे हव्वा को “जीवन” नाम दिया गया था, वैसे ही केवल स्त्री गर्भ धारण कर सकती है और जीवन दे सकती है। आदम पिता परमेश्वर को दर्शाता है जो मानवजाति के उद्धार के लिए बाद में आते हैं(रो 5:14), और उसकी पत्नी हव्वा माता परमेश्वर को दर्शाती है। यह तथ्य कि हव्वा को “जीवन” नाम दिया गया और वह सभी जीवित प्राणियों की माता बनी, यह दर्शाता है कि सभी जीवन माता परमेश्वर द्वारा दिया जाता है, जो हव्वा की वास्तविकता हैं। संसार में सभी माताओं का प्रेम, जो अपने गर्भ से जन्मे हुए बच्चे को अपने प्राण के समान प्रेम करता है, स्वर्गीय माता के प्रेम को प्रतिबिंबित करता है।

माता के प्रेम में समर्पण, बलिदान और पीड़ा शामिल है। जब हम पीढ़ियों से पारित हुए माता के प्रेम का अनुसरण करें, तो उसके मूल में स्वर्गीय माता हैं। जैसे मानव जाति बाइबल के माध्यम से पिता परमेश्वर को खोजती है और उद्धार की आशा करती है, वैसे ही हमें अब माता परमेश्वर को खोजना चाहिए, जो नियत समय पर प्रकट हुई हैं।